Pitru Paksha Kab Se Hai? – जानिए इस साल पितृपक्ष कब से है और इसका महत्व

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Pitru Paksha 2023 – श्रद्धालुओं के लिए वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण काल: Pitru Paksha या श्राद्ध पक्ष हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में आने वाला एक विशेष काल है। यह भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन माह की अमावस्या तक चलता है। पितृपक्ष 2023 की शुरुआत 29 सितंबर 2022 को हो रही है और यह 14 अक्टूबर 2022 तक चलेगा। आइए जानते हैं पितृपक्ष क्या है और इसका महत्व क्या है –

पितृ पक्ष 2023

भारतीय संस्कृति में धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ, हम जानेंगे कि पितृपक्ष क्या है और इसका क्या महत्व है।

Pitru Paksha क्या है?

पितृपक्ष का अर्थ है ‘पितरों का पक्ष’। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दौरान पितरों की आत्माएं अपने जीवित वंशजों के पास आती हैं। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान आदि करते हैं। ये सभी पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं।

Pitru Paksha का महत्व

  • पितृपक्ष में किए गए श्राद्ध से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनकी आत्माएं शांति प्राप्त करती हैं।
  • श्राद्ध पितरों का ऋण चुकाने का एक माध्यम है जो उन्होंने हमें दिया है।
  • पितृपक्ष पूर्वजों को याद करने और उनका आदर करने का अवसर है।
  • इस दौरान किए गए श्राद्ध से परिवार की खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।
  • पितृपक्ष हमें हमारी संस्कृति से जोड़े रखने में मदद करता है।

पितृ पक्ष 2023 प्रारंभ तिथि – पितृपक्ष कब से है?

पितृपक्ष 2023 इस वर्ष 29 सितंबर को भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर 14 अक्टूबर को अश्विन मास की अमावस्या तक चलेगा। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार होने वाला है और यह 16 दिनों का अवधि होता है, जिसमें पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।

यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो हमें हमारे पूर्वजों के प्रति आदर्शक और समर्पित बनने का अवसर प्रदान करता है। इस दौरान लोग अपने परिवार के पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

Pitru Paksha के 16 दिनों में से कुछ दिन श्राद्ध करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये तिथियां हैं –

  • 29 सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध
  • 1 अक्टूबर – तृतीया श्राद्ध
  • 3 अक्टूबर – पंचमी श्राद्ध
  • 5 अक्टूबर – सप्तमी श्राद्ध
  • 8 अक्टूबर – दशमी श्राद्ध
  • 11 अक्टूबर – एकादशी श्राद्ध
  • 14 अक्टूबर – सर्वपितृ अमावस्या

पितृपक्ष में क्या करें

Pitru Paksha के दौरान लोग निम्नलिखित गतिविधियाँ कर सकते हैं –

  • श्राद्ध और पिंडदान के लिए पूर्वजों के नाम याद करना।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना।
  • गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन देना।
  • तर्पण करना और पुण्य के कार्य करना।
  • घर में शांति और सकारात्मकता बनाए रखना।
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पितृ पक्ष में पूजा करना चाहिए या नहीं

पितृपक्ष में पूजा करना हिन्दू धर्म के अनुसार महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह धार्मिक आयोजन हमारे पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। इस दौरान परिवार के लोग अपने पूर्वजों के आत्मा को श्रद्धा और समर्पण के साथ याद करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष के दौरान परम्परागत रूप से पितरों का श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध किया जाता है, जिसमें पिंडदान और तर्पण करने का कार्य होता है। यह मान्यता है कि पितर इस समय आकर्षित होते हैं और उनकी आत्माओं को शांति मिलती है।

अगर आपके परिवार में पितृपक्ष का महत्व मान्यता है और आप इसे मान्यता के साथ मनाना चाहते हैं, तो आप पूजा और श्राद्ध कर सकते हैं। यह धार्मिक आयोजन आपके परिवार के अद्वितीय और गहरे संबंधों का हिस्सा हो सकता है और आपके पूर्वजों के स्मरण को मजबूत कर सकता है।

ध्यान दें कि पितृपक्ष के दौरान यह महत्वपूर्ण है कि पूजा और श्राद्ध को धार्मिक नियमों और परंपराओं के अनुसार किया जाए ताकि यह सही तरीके से हो। आपके घर के पंडित या धार्मिक आचार्य से सलाह लेना भी बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।

पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए

पितृपक्ष के दौरान मांसाहारी भोजन और नए कपड़े पहनने या खरीदने से बचना चाहिए। इस दौरान मान्यता है कि नए कपड़े पहनने से अशुभता आती है, इसलिए लोग इसे विशेष रूप से टालते हैं। इसका मतलब है कि इस समय व्यक्ति को नए कपड़े नहीं खरीदने चाहिए और वह अपने पास के कपड़ों का ही उपयोग करें। इसके स्थान पर, ध्यान पितृदेवों की पूजा और उनके प्रति भक्ति रखने पर होता है, और नए कपड़ों की खरीददारी जैसी सामाजिक गतिविधियों से बचा जाता है।

इसके अलावा, पितृपक्ष के दौरान मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। इसका कारण है कि रिश्तेदारों की आत्माओं को श्रद्धा से समर्पित करते समय शाकाहारी आहार को अधिक पवित्र और सम्मानजनक माना जाता है। इस दौरान शराब, तम्बाकू, प्याज और लहसुन जैसे तीखे सब्जियों का सेवन भी नहीं किया जाता है।

ये रीति और प्रथाएँ वो लोग मानते हैं जो पितृपक्ष का समर्पण और सम्मान करते हैं। याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रथाएँ क्षेत्रीय और परिवारिक प्रथाओं के आधार पर थोड़ी बदल सकती हैं, लेकिन पूर्वजों के सम्मान को महत्वपूर्ण रूप से निभाने का मूल सिद्धांत हमेशा के रूप में बरकरार रहता है।

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पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ या अशुभ

पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ है या अशुभ? पितृ पक्ष में मृत्यु होना अच्छे या बुरे की श्रेणी में नहीं आता है । मृत्यु ही एकमात्र ऐसी चीज़ है जो निश्चित है, लेकिन हमारी मृत्यु कब होगी इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।

पितृ पक्ष में भगवान की पूजा करनी चाहिए या नहीं

पितृ पक्ष में पूजा करते समय भगवान की पूजा करने की मान्यता है, लेकिन यह विवादित नहीं है और यह व्यक्ति के आध्यात्मिक आदर्शों और परंपराओं पर निर्भर कर सकता है। कुछ लोग पितृ पक्ष के दौरान भगवान की पूजा को समय की बचत के लिए छोड़ते हैं ताकि वे अपने पूर्वजों के श्राद्ध केंद्रित रूप से समर्पित रह सकें।

हालांकि, यह भी एक मान्यता है कि भगवान की पूजा और पितृ पूजा को एक साथ किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति अपने आध्यात्मिक और पारंपरिक दायित्वों को पूरा कर सकता है। इसका मतलब है कि यह व्यक्ति की आस्था और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है कि वह पितृ पक्ष के दौरान किस तरीके से पूजा करना चाहता है।

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सामान्यत: पितृ पक्ष के दौरान पितृ पूजा और भगवान की पूजा दोनों के साथ की जा सकती है, लेकिन यह व्यक्ति के आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

Pitru Paksha का सार

पितृपक्ष हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व रखता है। यह पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध का पर्व है। यदि इस अवधि में श्राद्ध किया जाता है तो पितरों को मोक्ष मिलता है और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

समापन

पितृपक्ष हिन्दू संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह हमें हमारे पूर्वजों के प्रति आदर्शक और समर्पित बनने का अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने परिवार के पूर्वजों के साथ जुड़कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

धर्म का इस महत्वपूर्ण पहलू को समझकर हम समर्पित रूप से पितृपक्ष के आयोजन कर सकते हैं और हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर सकते हैं।

नोट: इस आलेख में दी गई जानकारी सिर्फ सामान्य ज्ञान के आधार पर है और यह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

इस तरह, पितृपक्ष के महत्व और इसके संकेतों के साथ, हम इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के माहौल को समझ सकते हैं। यह हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए हमें एक अद्वितीय मौका प्रदान करता है, जो हमें हमारे विशेष संबंधों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

ध्यान दें: यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के आधार पर है और यदि आप इसमें रुचि रखते हैं, तो आपको संबंधित धार्मिक अधिकारी से संपर्क करना चाहिए, ताकि आप अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।

संपादक की नोट: यह लेख शिक्षात्मक उद्देश्यों के लिए है और धार्मिक मान्यताओं के प्रति समर्पितता का प्रतीक है।

FAQs

पितृ पक्ष 2023 प्रारंभ दिनांक और समय

पितृ पक्ष 2023 का प्रारंभ 29 सितंबर 2023 को होगा और 14 अक्टूबर 2023 तक चलेगा। इस अवधि में पितृ पूजा और श्राद्ध कार्यों को समर्थन देने के लिए अच्छा समय माना जाता है।

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पितृ पक्ष में पूजा करना चाहिए या नहीं

पितृ पक्ष में पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक संदेशवाहक और आशीर्वाद देने वाला कार्य होता है जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। व्यक्ति को अपने पितृ पूर्वजों के प्रति आदर और समर्पण का भाव बनाए रखना चाहिए।

पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए

पितृ पक्ष में कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। इस दौरान, नॉन-वेजिटेरियन भोजन, शराब, तंबाकू, प्याज, लहसुन, और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। यह इस मान्यता का हिस्सा है कि पितृ पक्ष में आत्मा के शांति के लिए आपको सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए ताकि पूजा और श्राद्ध कार्य सही रूप से हो सकें। यहां तक कि आपको नई कपड़े पहनने और खरीदने से भी बचना चाहिए क्योंकि यह पितृ पक्ष के दौरान अशुभ माना जाता है। इस समय के अंतर्गत आपको अपने पूर्वजों के श्राद्ध केंद्रित रूप से रहना चाहिए और आत्मा को शांति देने के कार्य में समर्थन देना चाहिए।

पितृ पक्ष में वर्जित कार्य

पितृ पक्ष में कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। इस दौरान, नॉन-वेजिटेरियन भोजन, शराब, तंबाकू, प्याज, लहसुन, और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। यह इस मान्यता का हिस्सा है कि पितृ पक्ष में आत्मा के शांति के लिए आपको सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए ताकि पूजा और श्राद्ध कार्य सही रूप से हो सकें।

पितृ पक्ष में जल कैसे दिया जाता है

पितृ पक्ष में जल को पूजा और श्राद्ध कार्यों में उपयोग किया जाता है। आपको एक शुद्ध और सात्विक पात्र में पानी लेकर उसे अपने पूर्वजों की आत्मा के लिए अर्पित करना चाहिए। यह एक सबसे महत्वपूर्ण पितृ पक्ष के आयोजन का हिस्सा होता है और आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण होता है।

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Rimly Gohain
रिमली गोहाइन hindimedium.net की सह-संस्थापक हैं। वे स्वास्थ्य, संबंधों और अन्य विषयों पर लेखन करती हैं। ब्लॉगिंग उनका जुनून है और वे अपने विचारों को दूसरों के साथ साझा करना पसंद करती हैं। उन्होंने कई स्वास्थ्य और रिश्तों से संबंधित लेख लिखे हैं जो पाठकों को प्रेरित और सूचित करते हैं। वे हिंदीमीडियम की एक करिश्माई लेखिका हैं।

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