Shami Ka Ped – Shami Ka Ped Kaisa Hota Hai | शमी का पेड़ | Shami Ka Paudha

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Shami Ka Ped – Jand [Shami Tree – Prosopis cineraria]: शमी का पेड़ की पहचान कैसे करें? भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों का विशेष महत्व है और भारतीय वन्यजीवन की धरोहर शमी वृक्ष भी उनमें से एक है।

शमी का पेड़ (Prosopis cineraria), जिसे हिंदी में ‘जंड’ के नाम से भी जाना जाता है, गुर्जरात, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे भारत के अनेक राज्यों में पाया जाता है। यह वृक्ष देश के उत्तरी भागों में भी पाया जा सकता है। Shami Ka Ped की पहचान करना और इसके फायदे जानना महत्वपूर्ण है, इसलिए आइए इस लेख में हम शमी वृक्ष की पहचान के तरीकों को जानेंगे।

Shami ka ped क्या है?

शमी वृक्ष या जंड का पेड़ एक छोटा आकार का हरित पौधा है जो भारतीय उपमहाद्वीप के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे Prosopis cineraria के नाम से भी जाना जाता है।

शमी का पेड़ के बारे में कुछ फैक्ट्स

Scientific nameProsopis cineraria
FamilyFabaceae
Common nameJand, Khejri, Shami Ka Ped
ToxicityNon-toxic 
SunlightFull sun exposure required
Soil typeSandy, loamy
Soil pHMildly acidic
Origin Southern Asia 
Mature size15-20 ft. tall, 10-15 ft. wide. 

Shami Ka Ped ki कुछ मुख्य विशेषताएँ:

  • ऊँचाई: शमी वृक्ष की ऊंचाई आमतौर पर 15 से 20 फीट तक होती है।
  • तना और शाखाएँ: इसका तना मोटा और शाखाएँ फैली हुई तथा चौड़ी होती हैं।
  • पत्तियाँ: पत्तियाँ छोटी आकार की, पतली और हल्के हरे रंग की होती हैं।
  • फूल और फल: सफेद और पीले फूलों से लंबे, पतले शंक्वाकार फल लगते हैं।
  • जड़: गहरी और फैली हुई जड़ें होती हैं जो पानी व पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं।
  • पानी की आवश्यकता: कम पानी में भी इस पेड़ का विकास होता है।
  • उपयोग: इसकी लकड़ी, फल, पत्ते व जड़ का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए होता है।

शमी का पेड़ (Shami Ka Ped) की पहचान कैसे करें? – असली शमी के पौधे की पहचान कैसे करें?

शमी (जंड) के पौधे की पहचान करना आम तौर पर आसान होता है, क्योंकि यह वृक्ष अपनी विशेषता और पत्तों के आकार से पहचाना जा सकता है। नीचे दिए गए तरीके को अनुसरण करके आप असली शमी के पौधे को आसानी से पहचान सकते हैं:

Shami Ka Ped Kaisa Hota Hai:

Shami Ka Ped | शमी का पेड़ | Shami Ka Paudha: शमी का पेड़ की पहचान कैसे करें?

शमी का पेड (Prosopis cineraria) एक छोटा और सुखद पेड़ होता है जो आमतौर पर 15 से 20 फीट की ऊंचाई तक होता है. इसका तना मोटा होता है और शाखाएँ फैली हुई तथा चौड़ी होती हैं, जिससे इसका पेड़ खुदरा और मजबूत दिखता है. इसकी पत्तियाँ छोटी होती हैं, पतली होती हैं और हल्के हरे रंग की होती हैं, जो इसके पेड़ को खास पहचान देती हैं.

फूल और फल: इस पेड के फूल सफेद और पीले रंग के होते हैं, और इनमें लंबे, पतले शंक्वाकार फल विकसित होते हैं. इसके फल पशुओं के चाराघास के रूप में उपयोग किए जाते हैं और यह प्राकृतिक खाद के स्रोत के रूप में भी महत्वपूर्ण है.

जड़: शमी के पेड की जड़ें गहरी और फैली हुई होती हैं और ये पानी और पोषण तत्वों को अवशोषित करने में मदद करती हैं, जिससे यह पेड कम पानी में भी अच्छा विकसित हो सकता है.

उपयोग: शमी के पेड की लकड़ी, फल, पत्ते और जड़ का विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग होता है। इसकी लकड़ी सूखी और सुखद होती है, और इसका उपयोग अक्सर अग्नि जलाने, बनाने और अन्य उपयोगों में किया जाता है। इसके फल पशुओं के चाराघास के रूप में उपयोग किए जाते हैं, जबकि इसके पत्ते पशुओं के चरणों के लिए मुख्य रूप से उपयोग होते हैं।

शमी का पेड भूमि संरक्षण, पशु पालन, और वनस्पति विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भारतीय परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण वनस्पति है।

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शमी का पेड़ (Shami Ka Ped) की फूल की पहचान:

शमी (जंड) वृक्ष के फूल रेशमी जैसे होते हैं और हरे रंग के होते हैं। ये फूल गुच्छे में होते हैं और वृक्ष के शाखाओं पर खिलते हैं। शमी के फूलों की सुगंध भी मनोहर होती है और इन्हें आमतौर पर विशेष त्योहारों और पूजा-अर्चना में उपयोग किया जाता है। ये फूल वृक्ष के पत्तों और शाखाओं के साथ एक सुंदर दृश्य प्रदान करते हैं और शमी वृक्ष की पहचान में मदद करते हैं।

शमी का पेड़ (Shami Ka Ped) फल की पहचान:

शमी के फल गठित होते हैं जो मूल रूप से भुरे या हल्के पीले रंग के होते हैं। ये फल वृक्ष पर दिखने के बाद कई भारतीय जनजातियों के लोग इन्हें खाने के उपयोग में लाते हैं।

शमी (जंड) वृक्ष के फल गठित होते हैं जो मूल रूप से भुरे या हल्के पीले रंग के होते हैं। ये फल वृक्ष पर दिखने के बाद कई भारतीय जनजातियों के लोग इन्हें खाने के उपयोग में लाते हैं। शमी के फल खाने में स्वादिष्ट होते हैं और इनमें कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। शमी के फल को ताजा या सूखे हुए रूप में उपयोग किया जा सकता है, और इसे आमतौर पर लोग भूखमरी और गरमी के दिनों में खाने का आनंद लेते हैं। ये फल वृक्ष को एक सुंदरता से सजाते हैं और शमी वृक्ष के पौधों को आराम देते हैं।

शमी का पेड़ (Shami Ka Ped) की छाल से पहचान:

शमी (जंड) पौधे की छाल गहरे खड़ेदी रंग की होती है और कठिन होती है। इसकी छाल वृक्ष के तने पर चिपकी होती है और इसका संरचना विशेष रूप से दिखाई देता है। बड़े पेड़ के शमी पौधे की छाल खड़ेदी रंग की और ज्यादातर गाढ़ी होती है, जबकि छोटे पेड़ के पौधे की छाल सामान्य रंग की होती है। शमी पौधे की छाल उसकी पहचान में महत्वपूर्ण होती है और इसे वृक्ष के संरक्षण एवं परिरक्षण में सहायक बनाती है।

Shami Ka Ped | शमी का पेड़ | Shami Ka Paudha: शमी का पेड़ की पहचान कैसे करें?

इन तरीकों से शमी (जंड) के असली पौधे की पहचान करना आसान हो जाएगा। यदि आपको अभी भी कोई संदेह है, तो आप स्थानीय वन्यजीवन अधिकारियों या पेड़-पौधों के विशेषज्ञों से संपर्क करके उनसे सलाह ले सकते हैं। असली शमी के पौधे के संरक्षण एवं परिरक्षण में भी सहायक होने के लिए इसे सही तरीके से पहचानना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शमी का पेड़ (Shami Ka Ped) के फायदे

शमी वृक्ष के कुछ महत्वपूर्ण फायदे इस प्रकार हैं:

  1. आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग: शमी के पेड़ के विभिन्न अंगों का आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग होता है। इसके पत्तों, छाल, दाने और फूलों का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है।
  2. जलायु रोगों में लाभकारी: शमी के पेड़ के छाल को जलायु रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो स्किन इन्फेक्शन को कम करने में मदद करते हैं।
  3. श्वसन विकार में उपयोगी: शमी के पेड़ के पत्तों को श्वसन विकारों, जैसे कि ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में उपयोगी माना जाता है।
  4. शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है: शमी के फल और दाने में ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को ताकतवर बनाते हैं और थकान को कम करते हैं।
  5. पाचन तंत्र को सुधारता है: शमी के फल में पाचन क्रिया को सुधारने वाले गुण पाए जाते हैं और इसका नियमित सेवन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद कर सकता है।
  6. विषाक्त पदार्थों के निकालने में सहायक: शमी के पेड़ के छाल का प्रयोग विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी किया जाता है।
  7. वातावरणीय लाभ: शमी वृक्ष भूमि को बाढ़, तूफ़ान और धूल-मिट्टी से बचाने में मदद करता है और वातावरण को सुधारने में भी सहायक साबित होता है।
  8. यहां बताए गए फायदों को ध्यान में रखते हुए, शमी के पेड़ को अपने आस-पास संरक्षित रखना और इसके साथ संवेदनशील तरीके से व्यवहार करना महत्वपूर्ण है। फिर चाहे वह आपके स्वास्थ्य के लिए हो या पर्यावरण के लिए।
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घर में कहां रखें शमी का पेड़?

शमी का पेड़ एक पवित्र पेड़ माना जाता है और इसे घर में रखने से कई लाभ होते हैं. शमी के पेड़ को घर में रखने से वास्तुदोष दूर होते हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. शमी का पेड़ घर के मुख्य द्वार के पास या आंगन में लगाना सबसे अच्छा होता है. शमी का पेड़ घर के अंदर नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है.

शमी का पेड़ घर में रखने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं:

  1. बगीचे में: शमी पेड़ को बगीचे में उच्च स्थान पर रखना उपयुक्त होता है, जिससे यह अधिक सूर्य किरणों का लाभ उठा सके। इसे खुली हवा में रखना भी फायदेमंद होता है।
  2. बड़े पॉट में: शमी को बड़े और गहरे पॉट में उगाना चाहिए, ताकि इसके जड़ अच्छे से विकसित हो सकें। इसे धूप और सूर्य की किरणों के पहले स्थान पर रखना उचित होता है।
  3. पूर्वदिशा या तिमूरिया में: शमी पूर्वदिशा या तिमूरिया में रखना उचित होता है, जिससे इसे अधिक सूर्य किरणों का लाभ मिले।
  4. जाली से ढके हुए स्थान पर: यदि आपके पास जाली से ढके हुए स्थान है, तो वहां शमी पेड़ को रखना भी उचित होता है। जाली से ढकने से पेड़ को धूप, वायु और बदलते मौसम के खिलाफ संरक्षण मिलता है।

शमी पेड़ को जमीन में सीधे बोने से पहले, उसकी सुनिश्चित करें कि आपके घर के आस-पास उचित स्थान हैं जहां यह बढ़ सकता है और उसकी रक्षा हो सके। शमी पेड़ को स्थानांतरित करने से पहले, स्थान का चयन करते समय विशेषज्ञ वृक्ष उद्यानकार से सलाह लेना भी अच्छा विचार होता है।

शमी के पेड़ को घर में रखने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • शमी के पेड़ को घर में रखने से वास्तुदोष दूर होते हैं.
  • शमी के पेड़ को घर में रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
  • शमी के पेड़ को घर में रखने से घर के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है.
  • शमी के पेड़ को घर में रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है.

शमी का पौधा और टच मी नॉट प्लांट एक ही हैं?

नहीं, शमी (Prosopis cineraria) का पौधा और “टच मी नॉट प्लांट” (Mimosa pudica) दो अलग-अलग प्रकार के पौधे हैं। ये दोनों पौधे अलग-अलग परिवारों से सम्बन्धित हैं और उनमें भिन्न विशेषताएं होती हैं।

शमी एक बड़ा पेड़ीय पौधा होता है जो मेहँदी के पेड़ के समान दिखता है। यह शांत और सूखे क्षेत्रों में आसानी से पल भरता है और उन्नति के लिए उच्चतम स्थान पर उगाया जाता है।

वहीं, “टच मी नॉट प्लांट” छोटा और छोटे पत्तों वाला पौधा है जो अपनी पत्तियों को छूने पर तुरंत मुड़ जाता है। इसलिए इसे “टच मी नॉट प्लांट” कहा जाता है। यह विशाल पेड़ों के नीचे छोटे-छोटे पौधों के रूप में फैलता है।

इन दोनों पौधों के विशेषताएं और विकास के तरीके अलग होते हैं जिससे वे एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

शमी का पेड़ शुभ है या अशुभ (shami plant is good or bad?)

शमी का पेड़ शुभ है। यह एक पवित्र वृक्ष माना जाता है और इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और औषधीय महत्व होता है। शमी पेड़ को भारत में विशेष आदर्शवादी भावना से देखा जाता है और यह लोगों के लिए संबल, शक्ति और शुभ का प्रतीक है। इसे बड़ी आवश्यकता और महत्व के साथ संरक्षित रखा जाता है। इसके फल, पत्ते और छाल का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है। इसलिए, शमी का पेड़ सामाजिक, पर्व पर्वतारोहण और पर्वतीय कार्यक्रमों में भी विशेष महत्व रखता है।

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वास्तु के अनुसार कौन सा पेड़ घर के लिए अच्छा नहीं है?

मेहंदी या हरड़ के पौधे नकारात्मकता के अग्रदूत होते हैंऐसा कहा जाता है कि मेहंदी या हरड़ के पौधों में बुरी आत्माओं का वास होता है और इन्हें घर में नहीं रखना चाहिए। एक और पौधा जो वास्तु के अनुसार घर के लिए अच्छा नहीं है, वह है इमली का पेड़ ।

शमी पेड़ की अलग अलग भाषा में इनका नाम

यहां नीचे हिंदी नामों को साथ ही उनके अंग्रेजी, संस्कृत, कन्नड़, उड़िया, कोंकणी, तमिल, तेलुगु, गुजराती, पंजाबी, मलयालम, बंगाली, मराठी, अरबी और उर्दू नामों का संक्षेपण निम्नलिखित तालिका में दिया गया है:

भाषानाम
हिंदीशमी, चिकुर, खजूर
अंग्रेजीप्रोसोपिस सिनेरेरिया
संस्कृतशमी, शिव, मंगल्य, सतत्वफल, tunga, केशात्रि, लक्ष्मी, शिवफल
कन्नड़पेरंबाई, बन्नी, टैकिट
उड़ियाखोदिरो, शमी, सोमी
कोंकणीजेम्बी, शमी
तमिलपरम्बई, कालीसम, जामबु
तेलुगुजाम्बी, जम्मी चेट्टू
गुजरातीखमडी, खिजडो, हम्रा
पंजाबीजंडी, जंड
मलयालमवंमी, परम्पु
बंगालीशमी, सोमी
मराठीसाउंडर, शेमी, सोमी
अरबीग़फ़
उर्दूजंडी, कंदी

सावधानियां:

शमी वृक्ष का उपयोग अपने फायदों के लिए होने के बावजूद, इसका अतिरिक्त उपयोग करने से पहले आपको स्थानीय वन्यजीवन अधिकारियों या पेड़-पौधों के विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए। कुछ जगहों पर शमी वृक्ष को वन्य और प्राकृतिक संसाधनों को संघर्ष करने का कारण भी बन सकता है, इसलिए इसके संरक्षण एवं उपयोग में सावधानी बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

FAQs

What Is Shami Ka Ped Called In English

शमी का पेड़, जिसे Prosopis cineraria के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर अंग्रेजी में गफ ट्री या खेजड़ी ट्री के नाम से जाना जाता है।

Shami ka paudha in english

शमी का पेड़, जिसे Prosopis cineraria के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर अंग्रेजी में गफ ट्री या खेजड़ी ट्री के नाम से जाना जाता है।

Shami ka ped in hindi

Shami Ka Ped जिसे हिंदी में खेजड़ी कहा जाता है, एक छोटे से मध्यम आकार का कांटेदार पेड़ है जो मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा जैसे शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी लंबी जड़ें इसे सूखा प्रतिरोधी बनाती हैं। खेजड़ी की लकड़ी, फल, फूल और अन्य भागों का ईंधन, चारा, दवाइयों और अन्य उपयोगों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह उगता है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है। खेजड़ी को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसका विशेष सांस्कृतिक महत्व है।

Shami ka ped ke fayde

Shami Ka Ped के अनेक फायदे हैं। इसकी लकड़ी से ईंधन और कोयला बनता है। इसकी छाल, जड़ और फलियों से दवाइयाँ बनाई जाती हैं जिनमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं। Shami Ka Ped के फूल और फलियाँ पशुओं के चारे के रूप में उपयोगी होती हैं। इसकी जड़ों से गोंद निकाली जाती है जिसका उपयोग बर्तन और फर्नीचर बनाने में होता है। यह पेड़ पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह उगता है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है। इसलिए इसे रेगिस्तानी इलाकों में लगाया जाता है। खेजड़ी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

समाप्ति:

शमी वृक्ष (जंड) भारतीय परंपरा और वन्यजीवन का एक अहम हिस्सा है। इसे पहचानने और इसके फायदे जानने से व्यक्ति को वृक्षों के महत्व को समझने में मदद मिलती है। आपके लिए यह लाभकारी पेड़ संरक्षित रखना और इसका सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इसका उपयोग और लाभ मिल सके।

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Abhijit Chetia
अभिजीत चेतिया Hindimedium.net के संस्थापक हैं। उन्हें लेखन और ब्लॉगिंग करना बहुत पसंद है, विशेष रूप से व्यवसाय, तकनीक और मनोरंजन पर। वे एक वर्चुअल असिस्टेंट टीम का भी प्रबंधन करते हैं। फाइवर पर एक टॉप सेलर भी हैं। अभिजीत ने हिंदीमीडियम.नेट की स्थापना अपने लेखन और विचारों को एक प्लेटफॉर्म देने के लिए की थी। वे एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के साथ अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए हिंदी ब्लॉगोस्फीयर को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। www.linkedin.com/in/abhijitchetia

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