मदर टेरेसा की जीवन परिचय: मदर टेरेसा का जन्म, मिशनरी ऑफ़ चैरिटी की स्थापना, गरीबों और बीमारों की सेवा

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विषयसूची – मदर टेरेसा की जीवन परिचय

  1. मदर टेरेसा का जन्म
  2. युवावस्था
  3. मिशनरी ऑफ़ चैरिटी की स्थापना
  4. गरीबों और बीमारों की सेवा
  5. शांति के लिए प्रयास
  6. नोबेल पुरस्कार

बीसवीं शताब्दी की वह महिला, जिसने प्रेम, करुणा और निस्वार्थ सेवा के माध्यम से विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने का संकल्प लिया, मदर टेरेसा का नाम उनके अनुष्ठानों और कृतियों के साथ अमर है। 26 अगस्त 1910 को मैसेडोनिया के स्कोप्जे शहर में जन्मी मैरी टेरेसा बोजाक्सियू ने अपने जीवन के प्रेरणादायक मोड़ों के साथ कोलकाता की सड़कों पर रहने वाले अनगिनत लोगों के जीवन में उम्मीद की किरन लाई। उनका संदेश और कार्य ने सिर्फ कोलकाता ही नहीं, पूरी दुनिया में लोगों को प्रभावित किया।

आइए इस लेख में हम मदर टेरेसा के प्रेरणादायक जीवन-पथ पर एक नज़र डालें, जिसमें उनके बचपन से लेकर मिशनरी बनने, ग़रीबों की सेवा करने तथा शांति और मानवता के लिए प्रयासों तक के सफर को देखेंगे।

मदर टेरेसा का जन्म – मदर टेरेसा की जीवन परिचय

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को ओटोमन एम्पायर के हिस्से में आने वाले स्कोप्जे शहर में हुआ था। उनका असली नाम अग्नेस गोंज़ा बोजाक्सियू था। वे अल्बानियाई माता-पिता निकोले और ड्रानाफिल बोजाक्सियू की तीसरी संतान थीं। उनका पालन-पोषण एक गहन रूप से धार्मिक वातावरण में हुआ। बचपन से ही वे चर्च जाना और प्रार्थना करना पसंद करती थीं।

12 वर्ष की आयु में टेरेसा ने यीशु के प्रेम में जीने का फैसला किया। 18 वर्ष की उम्र में वे आयरलैंड चली गईं जहाँ उन्होंने एक नन बनने का फैसला किया।

मदर टेरेसा का युवावस्था – मदर टेरेसा की जीवन परिचय

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को ओटोमन साम्राज्य के हिस्से में आने वाले स्कोप्जे शहर में हुआ था। उनका असली नाम अग्नेस गोंज़े बोजाक्सियू था। वे कोसोवो अल्बानियन माता-पिता निकोले और ड्रानाफिल बोजाक्सियू की तीसरी संतान थीं।

12 वर्ष की आयु में, उन्होंने मिशनरी बनने का फैसला कर लिया था। 1928 में 18 वर्ष की आयु में, वे आयरलैंड के डबलिन चली गईं और वहां लोरेटो ऐबे में सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो में शामिल हो गईं, ताकि वे अंग्रेजी सीख सकें और भारत में मिशनरी बन सकें। उन्होंने मैरी टेरेसा नाम अपनाया। 1929 में वे भारत आईं और दार्जिलिंग में अपने प्रशिक्षण की शुरुआत की।

1937 में, उन्होंने कोलकाता में लोरेटो कन्वेंट स्कूल में शिक्षक बनने के बाद ‘मदर’ की उपाधि ग्रहण की।

  • प्रश्न: मदर टेरेसा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
    • उत्तर: मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को ओटोमन साम्राज्य के हिस्से में आने वाले स्कोप्जे शहर में हुआ था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा का असली नाम क्या था?
    • उत्तर: उनका असली नाम अग्नेस गोंज़े बोजाक्सियू था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा ने किस उम्र में मिशनरी बनने का फ़ैसला किया?
    • उत्तर: 12 वर्ष की आयु में, उन्होंने मिशनरी बनने का फैसला कर लिया था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा कब और कहाँ गईं ताकि वे मिशनरी बन सकें?
    • उत्तर: 1928 में 18 वर्ष की आयु में, वे आयरलैंड के डबलिन चली गईं और वहां लोरेटो ऐबे में सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो में शामिल हो गईं।

मिशनरी ऑफ़ चैरिटी की स्थापना – मदर टेरेसा की जीवन परिचय

मदर टेरेसा के जीवन का एक नया अध्याय तब शुरू हुआ जब 1946 में उन्हें यह अनुभव हुआ कि वे ग़रीबों की सेवा के लिए अपने आप को समर्पित करें। 1946 में जब उन्हें यह आभास हुआ कि वे लोरेटो स्कूल छोड़कर ग़रीबों के बीच जाएँ, तो उन्होंने बिना संकोच किए अपने आपको इस कार्य के लिए अर्पित कर दिया।

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Creator: Calogero Cascio | Credit: Getty Images/Photo Researchers RM

1948 में, उन्होंने ग़रीबों की सेवा में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपना पारंपरिक धार्मिक वस्त्र त्याग कर सादा सफ़ेद साड़ी पहन लिया ताकि वे ग़रीबों के बीच आसानी से घुल-मिल सकें।

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मदर टेरेसा ने कोलकाता में मोतीझिल इलाके में एक स्कूल की स्थापना की और वहाँ के ग़रीब बच्चों को शिक्षा देने लगीं। इसके साथ ही वे बेसहारा लोगों को भोजन और आश्रय भी प्रदान करती रहीं।

1950 में, जब वेटिकन से मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना को मंज़ूरी मिली, तब उनका कार्य और मजबूत हुआ। अब वे और अधिक लोगों की मदद के लिए काम कर सकती थीं।

इस तरह मदर टेरेसा ने अपना जीवन ग़रीबों और बीमारों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

  • प्रश्न: मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना कब की?
    • उत्तर: मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना 1950 में की थी।
  • प्रश्न: मिशनरीज ऑफ चैरिटी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
    • उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य ग़रीबों, बीमारों और समाज के वंचित लोगों की सेवा करना था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के तहत कौन-कौन सी सेवाएँ प्रदान कीं?
    • उत्तर: उन्होंने अनाथालय, धर्मशालाएं, नि:शुल्क चिकित्सालय आदि स्थापित किए।
  • प्रश्न: मिशनरीज ऑफ चैरिटी कितने देशों में फैला?
    • उत्तर: 2007 तक यह 120 देशों में फैल गया था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा को इसके लिए किस तरह का समर्थन मिला?
    • उत्तर: उन्हें वेटिकन और भारत सरकार से समर्थन मिला। लोगों ने भी धनराशि और स्वयंसेवकों के रूप में योगदान दिया।

गरीबों और बीमारों की सेवा – मदर टेरेसा की जीवन परिचय

मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना के बाद, मदर टेरेसा ने पूरी तत्परता से ग़रीबों और बीमारों की सेवा में जुट गईं। उन्होंने कोलकाता की सड़कों पर भिखारी, बेसहारा बच्चों और ग़रीब परिवारों को खाना, आश्रय और चिकित्सकीय सहायता प्रदान करना शुरू किया।

1952 में, मदर टेरेसा ने कोलकाता में एक परित्यक्त हिंदू मंदिर में मरते हुए लोगों के लिए एक नि:शुल्क धर्मशाला की स्थापना की। वहाँ उन्होंने हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों को उनके धर्म के अनुसार का सम्मान प्रदान किया।

12 वर्ष की उम्र में, अल्बानियाई कैथोलिक लड़की ऐग्नेस गोंझा बोजाक्झियू को ईश्वर का आह्वान सुनाई दिया। उन्हें अपना जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित करने को कहा गया। उन्होंने एक नन के रूप में दीक्षा ली, शिक्षा प्राप्त की और भारत के कोलकाता में एक शिक्षिका के रूप में भेजी गईं। उनका नया नाम टेरेसा रखा गया। भारत में उन्हें ईश्वर से दूसरा आह्वान मिला – ग़रीबों की सेवा करते हुए उनके बीच रहना। उन्होंने मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी नामक एक नया संगठन बनाया।

मदर टेरेसा और उनके सहयोगियों ने कोलकाता में अनाथाश्रम, कुष्ठ रोगियों के लिए नर्सिंग होम और असाध्य रोग से पीड़ितों के लिए आश्रय स्थल बनाए। मदर टेरेसा के संगठन ने दुनिया के अन्य हिस्सों में भी सहायता कार्य किया।

यह विनम्र नन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गई और लोगों से धन की वर्षा होने लगी। लेकिन उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। आरोप लगाया गया कि उनके आश्रयों में मरते लोगों को पीड़ा निवारक दवाएँ नहीं दी जाती, जबकि वह खुद अस्पताल में इलाज कराती थीं। गर्भपात पर भी उनके विचार प्रतिगामी थे। उन्हें वेटिकन का प्रवक्ता माना जाता था। 2003 में, पोप ने उन्हें एक संत घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की।

2016 में, पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को एक संत का दर्जा दिया।

इसी तरह आगे के वर्षों में मदर टेरेसा ने लेप्रोसी के मरीज़ों के लिए अस्पताल खोले, अनाथ बच्चों के लिए आश्रय स्थापित किए और विभिन्न तरीकों से समाज के वंचित लोगों की सहायता की।

नोबेल पुरस्कार – मदर टेरेसा की जीवन परिचय

मदर टेरेसा ने कभी भी दूसरे धर्म के लोगों को अपना धर्म अपनाने के लिए प्रभावित नहीं किया। उनके आश्रयों में रहने वाले सभी लोगों को उनके अपने धर्म के अनुसार आध्यात्मिक अधिकार दिए जाते थे। हालांकि, उनका अपना कैथोलिक विश्वास बहुत दृढ़ था और गर्भपात, मौत की सज़ा व तलाक़ जैसे मुद्दों पर वे कड़ी धारणा रखती थीं – भले ही उनका यह रुख़ लोकप्रिय न हो। उनका पूरा जीवन उनके धर्म और आस्था से प्रभावित था, हालांकि कई बार वे स्वीकार करती थीं कि उन्हें ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव नहीं होता था।

आज मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं पूरी दुनिया में हैं, जिनमें विकसित देश भी शामिल हैं, जहां वे बेघरों और एड्स से प्रभावित लोगों की मदद करती हैं। 1965 में, पोप पॉल VI के फरमान से इसे एक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक परिवार का दर्जा मिला।

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1960 के दशक में, मैल्कम मगरिज ने मदर टेरेसा पर एक किताब लिखी और एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जिससे उनके जीवन को व्यापक पहचान मिली।

1979 में, उन्हें ग़रीबी और दुख को दूर करने के प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया गया। उन्होंने समारोह के भोज में शामिल नहीं हुईं, बल्कि पुरस्कार राशि ग़रीबों को देने का आग्रह किया।

बाद के वर्षों में, वे विकसित पश्चिमी देशों में अधिक सक्रिय हुईं। उनका कहना था कि भले ही पश्चिम भौतिक रूप से समृद्ध है, लेकिन वहां अक्सर आध्यात्मिक ग़रीबी है।

  • प्रश्न: मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार किस वर्ष मिला?
    • उत्तर: मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार 1979 में मिला था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार किसलिए मिला?
    • उत्तर: ग़रीबी और दुख को दूर करने के प्रयासों के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला था।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार राशि का क्या किया?
    • उत्तर: उन्होंने पुरस्कार राशि ग़रीबों को देने का निर्णय लिया।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा ने विकसित देशों में क्या कार्य किया?
    • उत्तर: उन्होंने वहां बेघरों और एड्स पीड़ितों की मदद की।
  • प्रश्न: मदर टेरेसा की क्या राय थी पश्चिमी समाज के बारे में?
    • उत्तर: उनका मानना था कि भौतिक समृद्धि के बावजूद वहां आध्यात्मिक ग़रीबी है।

मदर टेरेसा को दिए गए पुरस्कार

  • पहला पोप जॉन तेईसवें शांति पुरस्कार। (1971)
  • कैनेडी पुरस्कार (1971)
  • नेहरू पुरस्कार – “अंतर्राष्ट्रीय शांति और समझ को बढ़ावा देने के लिए” (1972)
  • अल्बर्ट श्वित्ज़र अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार (1975),
  • नोबेल शांति पुरस्कार (1979)
  • स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ़ फ़्रीडम (1985)
  • कांग्रेसनल गोल्ड मेडल (1994)
  • यू थान्ट शांति पुरस्कार 1994
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की मानद नागरिकता (16 नवंबर, 1996),

Mother Teresa Quotes in Hindi and English

  1. “If you judge people, you have no time to love them.”

“अगर आप लोगों का आकलन करते हैं, तो आपके पास उनसे प्यार करने का समय नहीं होगा।”

  1. “Peace begins with a smile.”

“शांति मुस्कान से शुरू होती है।”

  1. “We fear the future because we are wasting today.”

“हम भविष्य से डरते हैं क्योंकि हम आज को बर्बाद कर रहे हैं।”

  1. “Not all of us can do great things. But we can do small things with great love.”

“हम सभी महान काम नहीं कर सकते। लेकिन हम प्यार से छोटे-छोटे काम ज़रूर कर सकते हैं।”

  1. “Yesterday is gone. Tomorrow has not yet come. We have only today. Let us begin.”

“कल तो गया। कल का पता नहीं। आज के सिवाय हमारे पास कुछ नहीं है। आइए, शुरुआत करें।”

  1. “Every time you smile at someone, it is an action of love, a gift to that person, a beautiful thing.”

“जब भी आप किसी को मुस्कुराते हैं, वह प्यार का काम है, उस व्यक्ति को एक उपहार, एक सुंदर चीज़।”

  1. “Kind words can be short and easy to speak, but their echoes are truly endless.”

“मीठे शब्द छोटे और बोलने में आसान हो सकते हैं, लेकिन उनका प्रतिध्वनि वास्तव में अनन्त होता है।”

  1. “Do not think that love in order to be genuine has to be extraordinary. What we need is to love without getting tired.”

“सोचना मत कि प्यार को सच्चा होने के लिए असाधारण होना चाहिए। हमें बिना थके प्यार करने की ज़रूरत है।”

  1. “The most terrible poverty is loneliness, and the feeling of being unloved.”

“सबसे भयानक ग़रीबी अकेलापन और अप्रिय होने की भावना है।”

  1. “It’s not how much we give but how much love we put into giving.”
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“मायने रखता यह नहीं है कि हम कितना देते हैं बल्कि इसमें कितना प्यार रखते हैं।”

Mother Teresa Quotes in Hindi and English

  1. “हम सब महान काम नहीं कर सकते, लेकिन हम प्यार से छोटे-छोटे काम ज़रूर कर सकते हैं।” – मदर टेरेसा

“Not all of us can do great things, but we can do small things with great love.” – Mother Teresa

  1. “जहाँ भी जाओ प्यार फैलाओ। ऐसा मत होने दो कि कोई आपके पास आकर ख़ुशी से न लौटे।” – मदर टेरेसा

“Spread love everywhere you go. Let no one ever come to you without leaving happier.” – Mother Teresa

  1. “अगर आप लोगों का आकलन करते हैं, तो आपके पास उनसे प्यार करने का समय नहीं होगा।” – मदर टेरेसा

“If you judge people, you have no time to love them.” – Mother Teresa

  1. “अकेले मैं दुनिया नहीं बदल सकती, लेकिन मैं पानी पर पत्थर फेंक कर कई लहरें उत्पन्न कर सकती हूँ।” – मदर टेरेसा

“I alone cannot change the world, but I can cast a stone across the waters to create many ripples.” – Mother Teresa

  1. “मीठे शब्द छोटे और बोलने में आसान हो सकते हैं, लेकिन उनका प्रतिध्वनि वास्तव में अनन्त होता है।” – मदर टेरेसा

“Kind words can be short and easy to speak, but their echoes are truly endless.” – Mother Teresa

  1. “प्यार की भूख मिटाना रोटी की भूख से कहीं ज़्यादा मुश्किल है।” – मदर टेरेसा

“The hunger for love is much more difficult to remove than the hunger for bread.” – Mother Teresa

  1. “शांति मुस्कान से शुरू होती है।” – मदर टेरेसा

“Peace begins with a smile.” – Mother Teresa

  1. “नेताओं का इंतज़ार मत कीजिए; अकेले, व्यक्ति से व्यक्ति, यह काम कीजिए।” – मदर टेरेसा

“Do not wait for leaders; do it alone, person to person.” – Mother Teresa

  1. “प्यार का जाल आत्माओं को पकड़ने का एक साधन है।” – मदर टेरेसा

“Joy is a net of love by which you can catch souls.” – Mother Teresa

  1. “हम ख़ुद महसूस करते हैं कि हम जो कर रहे हैं वह सिर्फ़ समुद्र में एक बूँद है। लेकिन उस ग़ायब बूँद के बिना वह समुद्र कम हो जाएगा।” – मदर टेरेसा

“We ourselves feel that what we are doing is just a drop in the ocean. But the ocean will be less because of that missing drop.” – Mother Teresa

निष्कर्ष

मदर टेरेसा का जीवन विनम्रता, समर्पण और निस्वार्थ भाव से परिपूर्ण रहा। एक छोटी सी नन के रूप में शुरू हुई यह यात्रा, ग़रीबों और वंचितों की सेवा में बिताए गए दशकों तक जारी रही।

उन्होंने अपने को पूरी तरह से कोलकाता की बस्तियों और सड़कों पर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को समर्पित कर दिया। मिशनरीज ऑफ चैरिटी के माध्यम से उन्होंने अस्पताल, आश्रय और विद्यालय स्थापित किए जहाँ ग़रीबों और बीमारों को बिना भेदभाव के देखभाल मिलती थी।

नोबेल पुरस्कार सम्मान से लेकर भारत और विदेशों में उन्हें मिली व्यापक पहचान तक, मदर टेरेसा हमेशा विनम्र बनी रहीं और दूसरों की सेवा में लगी रहीं। उनका प्रेरणादायक जीवन आने वाली पीढ़ियों को भी निस्वार्थ भाव और करुणा का संदेश देता रहेगा।

Also published here – प्रगति समाचार

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Abhijit Chetia
अभिजीत चेतिया Hindimedium.net के संस्थापक हैं। उन्हें लेखन और ब्लॉगिंग करना बहुत पसंद है, विशेष रूप से व्यवसाय, तकनीक और मनोरंजन पर। वे एक वर्चुअल असिस्टेंट टीम का भी प्रबंधन करते हैं। फाइवर पर एक टॉप सेलर भी हैं। अभिजीत ने हिंदीमीडियम.नेट की स्थापना अपने लेखन और विचारों को एक प्लेटफॉर्म देने के लिए की थी। वे एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के साथ अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए हिंदी ब्लॉगोस्फीयर को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। www.linkedin.com/in/abhijitchetia

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